1. प्राचीन भारत इतिहास के अध्ययन के किन्ही दो मुख्य स्रोतों के नाम बतायें।
उत्तर – प्राचीन भारत इतिहास के अध्ययन के दो मुख्य स्रोत –
(i) साहित्यिक स्रोत
(ii) पुरातात्विक स्रोत
2. पुरातत्व से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – पुरातत्व वह विज्ञान है जिसके माध्यम से पृथ्वी के अंदर छिपी हुई सामग्रियों की खुदाई कर अतीत के लोगों के जीवन की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होने के कारण पुरातत्व एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके अंतर्गत खुदाई में प्राप्त सिक्कों, अभिलेखों, खंडहर एवं स्मारक आदि की गणना की जाती है। किसी भी सभ्यता के इतिहास की जानकारी के लिए पुरातत्व एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
3. अभिलेख किसे कहते हैं ?
उत्तर – अभिलेख उन लेखों को कहा जाता है, जो स्तंभों, चट्टानों, गुफाओं ताम्रपत्रों और पत्थरों की चौड़ी पट्टियों पर खुदे तत्कालीन शासकों के शासन का समाजिक, राजनैतिक, आर्थिक व धार्मिक चित्र खींचते हैं।
4. इतिहास लेखन में अभिलेखों का क्या महत्व है ?
उत्तर – इतिहास के लेखन में अभिलेखों का महत्वपूर्ण स्थान है। अभिलेख से प्राचीन काल के राजा तथा उस समय रह रहे लोगों के जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। राजाओं के क्रियाकलाप या आदेश, विचार तथा महिला और पुरुष द्वारा दिए गए धार्मिक संस्थाओं को दान का विवरण मिलता है। शासकों और उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी मिलती है। भूदान और अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी मिलती है। सामाजिक और धार्मिक जीवन के बारे में जानकारी मिलती है। साम्राज्य विस्तार के बारे में जानकारी मिलती है। इसी तरह अभिलेख से इतिहास के लेखन में बहुत सारी जानकारी मिलती है।
5. मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर – मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी हेतु हमारे पास साहित्यिक एवं पुरातात्विक दोनों प्रकार के स्रोत हैं।
(i) साहित्यिक स्रोतों में कौटिल्य (चाणक्य) का अर्थशास्त्र, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस, विष्णु पुराण एवं बौद्ध व जैन ग्रंथ से मौर्य इतिहास की जानकारी मिलती है।
विदेशी यात्रियों के विवरणों में यूनानी राजदूत मेगास्थनीज की इंडिका मौर्य कालीन इतिहास जानने का प्रमुख स्रोत है।
(ii) पुरातात्विक स्रोतों में अभिलेख एवं सिक्के मौर्यकालीन इतिहास को लिखने में अत्यधिक प्रमाणिक एवं मददगार साबित हुए हैं।
6.कार्बन-14 विधि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – कार्बन-14 विधि वस्तु की कालावधि को मापने की वैज्ञानिक विधि है।
इसके अनुसार जब वस्तु या जीव अस्तित्व में होती है। उसमें दो प्रकार के कार्बन पायें जाते हैं। C₁₂ या C₁₄ इनमें C की मात्रा समान होती है लेकिन जैसे-जैसे वस्तु विघटित होती जाती है C₁₂ की मात्रा तो सामान रहती है लेकिन C₁₄ की मात्रा कम होती जाती है 5730 वर्षों में C₁₄ की मात्रा घटकर आधी रह जाती है। जिस पदार्थ में कार्बन-14 की मात्रा जितनी कम होगी वह उतनी ही पुरानी मानी जाएगी। इसी आधार को मानकर किसी वस्तु का कार्यकाल निर्धारित किया जाता है।
7. सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहा जाता है ?
उत्तर – सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता इसलिए कहा जाता है, क्योंकि पुरातत्वविदों द्वारा सर्वप्रथम हड़प्पा नगर की खोज हुई थी। इस महत्वपूर्ण सभ्यता का पता लगाने का श्रेय रायबहादुर दयाराम साहनी को जाता है। दयाराम साहनी ने 1921 ई० में हड़प्पा नामक स्थल पर पुरातात्विक उत्खनन कर कई हड़प्पाई मोहरें प्राप्त की थी। इसके बाद ही अन्य स्थानों पर पुरातात्विक खुदाई की गई। सिंधुघाटी सभ्यता का सबसे पहला और महत्वपूर्ण नगर होने के कारण इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है।
8. सिंधु घाटी नगर योजना की चार विशेषतायें बतायें ।
उत्तर – सिंधु घाटी नगर योजना की चार विशेषताएं निम्नलिखित है।
(i) सुनियोजित नगर
(ii) सुव्यवस्थित निकास व्यवस्था
(iii) निपुण नागरिक प्रबंध
(iv) भवन निर्माण कला
9. हड़प्पा सभ्यता का विस्तार की विवेचना करें।
उत्तर – हड़प्पा सभ्यता का विस्तार उत्तर में जम्मू कश्मीर से लेकर दक्षिण में नर्मदा के तट तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर पूर्व में मेरठ तक था।
इसका क्षेत्रफल लगभग 12,99,600 वर्ग किमी० है। अनुमानतः हड़प्पा सभ्यता का विस्तार उत्तर से दक्षिण तक 1100 किमी० तथा पूर्व से पश्चिम तक 1600 किमी० है।
10. हड़प्पावासियों द्वारा सिंचाई के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले साधनों के नामों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – हड़प्पावासियों द्वारा मुख्यत: नहरें, कुएँ और जल संग्रह करने वाले स्थानों को सिंचाई के रूप में प्रयोग में लाया जाता था ।
(i) अफगानिस्तान में सौतुगई नामक स्थल से हड़प्पा नहरों के चिह्न प्राप्त हुए हैं
(ii) हड़प्पा के लोगों द्वारा सिंचाई के लिए कुओं का भी इस्तेमाल किया जाता था ।
(iii) गुजरात के धोलाबीरा नामक स्थान से पानी की बावली (तालाब) मिला है। इसे कृषि की सिंचाई के लिए पानी देने के लिए जल संग्रह के लिए प्रयोग किया जाता था ।
11. सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें ।
उत्तर – सिंधु घाटी सभ्यता की सर्व प्रमुख विशेषता इसका नगर नियोजन है। सिंधु घाटी के लोग नगरों में रहने वाले थे। वे नगर स्थापना में बड़े कुशल थे उन्होंने हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल और रोपण जैसे अनेक नगरों का निर्माण किया उनकी नगर व्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित विशेषताएं मुख्य रूप से उल्लेखनीय हैं।
1. सड़क व्यवस्था
2. जल निकास प्रणाली
3. स्नानागार
4. अन्नागार
5. ईंटें
12. किन्हीं आठ महाजनपदों के नाम बतायें।
उत्तर – आठ महाजनपदों के नाम –
(i) मगध (ii) काशी (iii) अवंती (iv) कोशल (v) गांधार (vi) सूरसेन (vii) कंबोज (viii) मत्स्य
13. महाभारत में वर्णित विवाह के प्रकारों का उल्लेख करें।
उत्तर – महाभारत में आठ प्रकार के विवाह का वर्णन किया गया है।
(i) ब्रह्म विवाह (ii) दैव विवाह (iii) आर्ष विवाह (iv) प्रजापत्य विवाह (v) असुर विवाह (vi) गंधर्व विवाह (vii) राक्षस विवाह (viii) पिशाच विवाह
14. त्रिपिटक क्या है ?
उत्तर – महात्मा बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके मानने वाले मतलब उनके अनुयाई ने उनकी शिक्षाओं का संकलन 3 पिटकों में किया। इन्हीं तीनों पिटको को संयुक्त रूप से त्रिपिटक कहा जाता है।
यह तीनों पिटक हैं, विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्म पिटक।
सुत्तपिटक में बौद्ध धर्म के सिद्धांत मिलते हैं। विनयपिटक में बौद्ध धर्म के आचार-विचार एवं नियम मिलते हैं। अभिधम्म पिटक में बौद्ध दर्शन मिलता है। जो इन तीनों पिटको का ज्ञानी होता है, इसे त्रिपिटकाचार्य कहते हैं।
15. जनपद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – जनपद का अर्थ एक ऐसा भूखंड है जहां कोई जन, (लोग, कुल या जनजाति) अपना पाँव रखता है। अथवा बस जाता है।
16. किस बौद्ध ग्रंथ में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है ?
उतर – बौद्ध ग्रंथ के “अंगुत्तर निकाय” में।
17. किस शिलालेख से अशोक द्वारा कलिंग विजय की जानकारी मिलती है ?
उत्तर – अशोक के तेरहवें शिलालेख से पता चलता है कि उसने कलिंग पर विजय प्राप्त की।
18. कलिंग युद्ध का अशोक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर – कलिंग युद्ध के भीषण नरसंहार को देखकर अशोक का कठोर हृदय द्रवित हो गया। उसने चंद्रगुप्त द्वारा गठित सेना भंग कर दी और उसने युद्ध विजय के स्थान पर धम्म विजय का निश्चय किया। अशोक ने साम्राज्य विस्तार की नीति के स्थान पर धम्म प्रचार की नीति को अपनाया।समस्त भारत सहित विदेशों में भी धर्म प्रचारक भेजे। इसलिए अशोक महान सम्राट कहा जाता है और उसके हृदय में मानवता की सेवा, जीवों के कल्याण एवं दया का भाव जागृत हुआ।
19. अशोक के धम्म से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – धम्म :- एक नैतिक संहिता थी जिसका उद्देश्य लोगों में प्रेम नैतिकता शांति तथा उत्तरदायित्व की भावना को जगाकर अपने साम्राज्य में शांति बनाए रखना था।
20. मोहनजोदड़ो के स्नानागार का संक्षेप में विवरण कीजिए ।
उत्तर – मोहनजोदड़ो में बना सार्वजनिक स्नानागार अपना विशेष महत्व रखता है। यह सिंधु घाटी के लोगों की कला का अद्वितीय नमूना है ऐसा अनुमान है कि यह स्नानागार धार्मिक अवसरों पर आम जनता के नहाने के प्रयोग में लाया जाता था। जिसका आकार 180 ×180 वर्ग फुट होता था। इसके चारों और बरामदे होते थे। स्नानागार को पानी से भरने के लिए एक कुआँ भी होता था गंदे पानी की निकासी के लिए भी प्रबंध था।
(i) मोहनजोदड़ो के स्नानागार के चारों और बरामदे होते थे।
(ii) स्नानागार को पानी से भरने के लिए एक कुआँ भी होता था।